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कविता / हैरॉल्ड पिंटर

1,098 bytes added, 04:31, 26 जनवरी 2009
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रोशनियाँ चमकती हैं
आगे क्या होने वाला है? रात ढल चुकी है।बारिश रुक चुकी है।आगे क्या होने वाला है? रात और गहरी होगी।उसे नहीं पता हैजो मैं कहूँगा उससे। जब वो जा चुका होगामैं उसके कान में एक शब्द डालूंगाऔर कहूंगा जो मैं कहने वाला थाउस बैठक में जो होने वाली थीजो अब हो चुकी है। लेकिन उसने कुछ नहीं कहाउस बैठक में जो होने वाली थी।वो तो अब है कि वो मुड़ता है और मुस्कराता हैऔर फुसफुसाता है:'मुझे नहीं पताआगे क्या होने वाला है?' '''मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल एकलव्य
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