भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कविता / हैरॉल्ड पिंटर
Kavita Kosh से
रोशनियाँ चमकती हैं
आगे क्या होने वाला है?
रात ढल चुकी है।
बारिश रुक चुकी है।
आगे क्या होने वाला है?
रात और गहरी होगी।
उसे नहीं पता है
जो मैं कहूँगा उससे।
जब वो जा चुका होगा
मैं उसके कान में एक शब्द डालूंगा
और कहूंगा जो मैं कहने वाला था
उस बैठक में जो होने वाली थी
जो अब हो चुकी है।
लेकिन उसने कुछ नहीं कहा
उस बैठक में जो होने वाली थी।
वो तो अब है कि वो मुड़ता है और मुस्कराता है
और फुसफुसाता है:
'मुझे नहीं पता
आगे क्या होने वाला है?'
मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल एकलव्य