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रुख़ और मंज़िल / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
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16:24, 8 फ़रवरी 2009
जिस ओर चलना सुविधा है
अंतिम पड़ाव अंतहीन पेट है
</poem>
प्रकाश बादल
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