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16:11, 11 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विजय राठौर
|संग्रह=
}}
<Poem>
आओ!
लेकिन न आना
जाने की दुराशा के साथ
आओ!
सम्वाद के लिए
सार्थक भाषा के साथ
आओ!
नए उत्पाद की जीवन्त
अभिलाषा के साथ
आओ!
आ-आकर
मिलने की प्रत्याशा के साथ
तुम आओ!
</poem>