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16:01, 14 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अमृता प्रीतम
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[[Category:लम्बी कविता]]
{{KKPageNavigation
|पीछे=नौ सपने / भाग 8 / अमृता प्रीतम
|आगे=
|सारणी=नौ सपने / अमृता प्रीतम
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<poem>
मेरा कार्तिक धर्मी,
मेरी ज़िन्दगी सुकर्मी
मेरी कोख की धूनी,
काते आगे की पूनी
दीप देह का जला,
तिनका प्रकाश का छुआ
बुलाओ धरती की दाई,
मेरा पहला जापा...
<pre>... ... ...</pre>
</poem>