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14:55, 15 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बहज़ाद लखनवी
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<poem>
उन आँखों का आलम, गुलाबी गुलाबी
मेरे दिल का आलम, शराबी शराबी
निगाहों ने देखी मुहब्बत ने मानी
तेरी बेमिसाली, तेरी लाजवाबी
ये दुद-दीदा नज़ारें ये रफ़्तार-ए-नाज़ुक
इन्हीं की बदौलत, हुई है खराबी
खुदा के लिए अपनी ऩज़ारो को रोको
तमन्ना बनी, जा रही है जवाबी
है "बहज़ाद" उनकी निगाह-ए-करम पर
मेरी ना-मुरादी, मेरी कामयाबी
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