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उन आँखों का आलम गुलाबी गुलाबी / बहज़ाद लखनवी
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उन आँखों का आलम, गुलाबी गुलाबी
मेरे दिल का आलम, शराबी शराबी
निगाहों ने देखी मुहब्बत ने मानी
तेरी बेमिसाली, तेरी लाजवाबी
ये दुद-दीदा नज़ारें ये रफ़्तार-ए-नाज़ुक
इन्हीं की बदौलत, हुई है खराबी
खुदा के लिए अपनी ऩज़ारो को रोको
तमन्ना बनी, जा रही है जवाबी
है "बहज़ाद" उनकी निगाह-ए-करम पर
मेरी ना-मुरादी, मेरी कामयाबी