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20:06, 15 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वेणु गोपाल
|संग्रह=
}}
<poem>
ऎसा क्यों होता है-
कि पाठक
जब कविता पढ़ता है
तो
कवि के दर्शनों की
इच्छा करता है
और उससे मिलना चाहता है
लेकिन
जब कवि से मिल लेता है
तो
कवि के साथ-साथ
कविता को भी
गालियाँ देता हुआ लौटता है
</poem>