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कभी यूँ भी तो हो / सौरभ
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20:35, 27 फ़रवरी 2009
<Poem>
कभी यूँ भी तो हो
मैं घूमने
निकलूंँ
निकलूँ
और सड़क में कोई न हो
फूल ही फूल खिले हों
प्रकाश बादल
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