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जहाँ तलक भी ये सेहरा दिखाई देता है / शकेब जलाली
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13:12, 15 मई 2009
<poem>
जहाँ तलक भी ये
स
हरा
सहरा
दिखाई देता है
मेरी तरह से अकेला दिखाई देता है
द्विजेन्द्र द्विज
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