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कहाँ है ओ अनंत के वासी / गुलाब खंडेलवाल
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02:10, 2 जून 2009
कहाँ है ओ अनंत के वासी
तू मन मे है फिर भी आँखे है दर्शन की प्यासी
प्रेम शक्ति के तार भले ही मैंने तुझ से बांधे
Vibhajhalani
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