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दीप्ति ही तुम्हारी सौन्दयता है / तारा सिंह
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तारा सिंह
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:तुम ज्वलित अग्नि की सारी प्रखरता को
:समेटे बैठी रहो, नववधू - सी मेरे हृदय में
Pratishtha
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