[[Category:ग़ज़ल]]
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अंदोह <sup>1</sup> से हुई न रिहाई तमाम शब| <sup>2</sup>। मुझ दिल-जले को नींद न आई तमाम शब| शब। [1. अंदोह=दुख; 2. तमाम शब=पूरी रात]
चमक चली गई थी सितारों की सुबह तक,
की आस्माँ से दीदा-बराई तमाम शब| शब।
जब मैंने शुरू क़िस्सा किया आँखें खोल दीं,
यक़ीनी <sup>3</sup> थी मुझ को चश्म-नुमाई तमाम शब| शब। [3. यक़ीनी= अनुशासनहीनता]
वक़्त-ए-सियाह <sup>4</sup> ने देर में कल यावरी <sup>5</sup> सी की, थी दुश्मनों से इन की लड़ाई तमाम शब| शब। [4. सियाह=दर्क; 5. यावरी= मदद]
तारे से तेरी पलकों पे क़तरे थे अश्क के, दे रहे हैं "मीर" दिखाई तमाम शब| शब।
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