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एलान-ए-जंग / अली सरदार जाफ़री
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03:41, 12 जुलाई 2009
आज़ादी-ए-हयात का सामान कर दिया
शेख़
और बिरहमन में बढ़ाया इत्तिहाद
गोया उन्हें दो कालिब-ओ-यकजान कर दिया
ज़ु
ल्मो
ज़ुल्मो
-सितम की नाव डुबोने के वास्ते
क़
तरे
क़तरे
को आंखों-आंखों में तूफ़ान कर दिया
द्विजेन्द्र द्विज
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