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हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
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05:53, 18 जुलाई 2009
*[[प्यार किस तरह उनको समझायें! ]]
*[[प्यार दिल में है अगर प्यार से दो बात भी हो]]
*[[पाँव तो उस गली में धरते हैं ]]
[
*[[फूल अब शाख से झड़ता-सा नज़र आता है ]]
*[[बात ऐसे तो बहुत होके रही अपनी जगह ]]
Vibhajhalani
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