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रात के नौ बजे हैं / नाज़िम हिक़मत
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19:47, 20 जुलाई 2009
एक इन्सान और हमारी यह पृथ्वी
एक ही सुई की नोक पर खड़े हैं।
''' अंग्रेज़ी से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी'''
</poem>
अनिल जनविजय
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