518 bytes added,
17:26, 3 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सीमाब अकबराबादी
|संग्रह=
}}
[[Category:गज़ल]]
<poem>
मदारे-हर अमले-नेकोबद है नीयत पर।
अगर हुनाह की नीयत न हो गुनाह नहीं॥
नक़ाब उलट दिया मूसा ने तूर पर उनका।
अगर गुनाह सलीक़े से हो, गुनाह नहीं॥
</poem>