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21:34, 21 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सरोज परमार
|संग्रह= घर सुख और आदमी / सरोज परमार
}}
[[Category:कविता]]
<poem>प्रसार
दूर-दूर तक
सूनेपन का
रेशे रेशे तक
खालीपन
का
एक बदनसीब डायरी
जिस पर लिखा गया नहीं
बरसों से/
कोरी भी नहीं,अनछुई भी नहीं
छुअन झेली भी नहीं।
कहीं एक पन्ने पर
इबारत अधूरी
पूरी होने के इंतज़ार में।</poem>