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पहचान / केशव

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{{KKRachna
|रचनाकार=केशव
|संग्रह=धूप के जल में धरती होने का सुख / केशव
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[[Category:कविता]]{{KKCatKavita‎}}
<poem>
दुनियाँ दुनिया और वक्त वक़्त में
लोग जीते हैं---
उथले और बौने लोग
कीचड़ में धँसे लदे हुए ट्रक की तरह
उन्हें जो करीब क़रीब लाता है एक दूसरे के
वह न उनका सुख है न दुख
उनका अकेलापन है
अपने साथ न रह सकने का की
असुरक्षा है
जो हर वक्त वक़्त रहती है उनके भीतर ::खड़े पानी की तरह
और जो वास्तव में आदमी हैं
वे सम्बंधित सम्बन्धित नहीं वक्त वक़्त या दुनिया से
क्योंकि वे अपने साथ हैं सदा
साथ होना अपने
करता है उन्हें साधारणता से मुक्त
और वे दूरबीन की तरह
आँखों से लगाये लगाए ज़िन्दगी
पहचान लेते हैं मौत का चेहरा
सम्बन्धित हैं असल में जिससे वे
</Poem>
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