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17:25, 23 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सफ़ी लखनवी
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बेक़रारी दिले-बीमार की अल्ला-अल्ला।
फ़र्शेगुल पर भी न आना था, न आराम आया॥
जौरे-दरबाँ की तो कुछ भी न हुई तहक़ीक़ात।
मेरे ही सर मेरी फ़रियाद का इलज़ाम आया॥
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