भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बेक़रारी दिले-बीमार की अल्ला-अल्ला / सफ़ी लखनवी
Kavita Kosh से
बेक़रारी दिले-बीमार की अल्ला-अल्ला।
फ़र्शेगुल पर भी न आना था, न आराम आया॥
जौरे-दरबाँ की तो कुछ भी न हुई तहक़ीक़ात।
मेरे ही सर मेरी फ़रियाद का इलज़ाम आया॥