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नाज़बरदारियाँ नहीं होतीं / चाँद हादियाबादी
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17:09, 28 अगस्त 2009
गर ये बदकारियाँ नहीं होतीं
इतनी पी है कि होश हैं
गुम—सुम
गुम-सुम
अब ये मय-ख़्वारियाँ नहीं होतीं
द्विजेन्द्र द्विज
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