Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुनव्वर राना }} <poem> तुम्हारे पास ही रहते न छोड़...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुनव्वर राना
}}

<poem>

तुम्हारे पास ही रहते न छोड़ कर जाते
तुम्ही नवाजते तो क्यों इधर - उधर जाते

किसी के नाम से मंसूब ये इमारत थी
बदन सराय नहीं था कि सब ठहर जाते
</poem>
31
edits