Last modified on 29 अगस्त 2009, at 22:46

तुम्हारे पास ही रहते न छोड़ कर जाते / मुनव्वर राना

  
तुम्हारे पास ही रहते न छोड़ कर जाते
तुम्हीं नवाज़ते तो क्यों इधर-उधर जाते

किसी के नाम से मंसूब ये इमारत थी
बदन सराय नहीं था कि सब ठहर जाते