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13:16, 12 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
<poem>कौंध के बाद की गरज तले
सड़क के बीचों-बीच
वे मिले अचानक
और चल दिये
साथ-साथ
बिना किसी
भूमिका के
लगे बतियाने
एक-दूसरे के दर्पण बने
यहां तक
कि उनके पास
कोई शब्द न रहे
उन्होंने इक-दूजे को
नहीं सुना
पर सुना
किसी ने
किसी को
नहीं छूआ
पर छूआ
अंततः
उसने कहा
मैं जानती थी
कि निश्चित था
हमारा मिलना
कौंध के बाद की गरज-सा
</poem>