{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
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<poem>
'''आबला-पा'''
साये में दरख़्तों के
बैठे हुए इन्सानोइन्सानोंऐ वक़्त के मेहमानोमेहमानों
किस देस से आये हो
किस देस को जाना है
ऐ सोख़्ता-सामानोसामानों
ये वुस्अते-मैदाँ है