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प्रीत भरी हो / अभिज्ञात

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|रचनाकार=अभिज्ञात
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{{KKCatKavita}}<poem>स्नेह सुधा चख हमने जाना
ममता का तुम खुला खजाना
बुझ जाएगी जग की तृष्णा
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