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भाग्य-फल / अरुण कमल

20 bytes added, 07:42, 5 नवम्बर 2009
|संग्रह = अपनी केवल धार / अरुण कमल
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मैंने आज ज्योतिषि को देखा
 
बीच बाज़ार में
 
मैंने आज शहर के सबसे बड़े ज्योतिषि को
 
कुँजड़िन से मोल-भाव करते देखा
 
दो कौड़ी की मामूली कुँजड़िन से
 
बस दस पैसे के वास्ते मुँह लगाते देखा
 
और कुँजड़िन भी कितनी मुँहफट थी
 
एक न छोड़ी
 
सरे बाज़ार लूट ली लंग
 
बेचारा ज्योतिषि
 
आज यही लिखा था भाग्य में !
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