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आश्वासन / शशि पाधा
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18:58, 8 नवम्बर 2009
|रचनाकार=शशि पाधा
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{{KKCatKavita}}
<poem>विदा की वेला में सूरज ने
धरती की फिर माँग सजाई
तारक वेणी बाँध अलक में
नयनों में भर ले जाऊँगा
मैं कल फिर लौट के आऊँगा ।
मैं कल फिर लौट के आऊँगा ।</poem>
अनिल जनविजय
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