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दुख, प्रेम और समय / आलोक श्रीवास्तव-२
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05:15, 10 नवम्बर 2009
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२
}}
आलोक श्रीवास्तव-२
<poem>
बहुत से शब्द
बहुत बाद में खोलते हैं अपना अर्थ
अपने दुख कम प्रतीत होते हैं तब
और अपना प्रेम कहीं बड़ा ।
</poem>
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