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'''बतर्ज़े-‘बेदिल’''' <ref>फ़ारसी का प्रसिद्ध शाइर जो अपनी मुश्किलपसन्दी के लिए जाना जाता था. मिर्ज़ा ग़ालिब भी इसके बड़े प्रशंसक थे तथा उसकी शैली में शे’र कहने में गौरव अनुभव करते थे कहते है. उन्होंने स्वयं कहा था:
‘तर्ज़े-‘बेदिल’ में रेख़्ता कहना
असदुल्लाह ख़ाँ क़यामत है’ .</ref>