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उतरी थी शहरे-गुल में कोई आतिशी किरन / फ़राज़
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13:05, 15 नवम्बर 2009
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उतरी थी शहरे-गुल<ref>
फूलों के नगर
</ref>में कोई आतिशी किरन<ref>
आग वाली
</ref>
वो रोशनी हुई कि सुलगने लगे बदन
द्विजेन्द्र द्विज
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