Changes

संकट / रामधारी सिंह "दिनकर"

152 bytes added, 16:30, 20 नवम्बर 2009
{{KKCatKavita}}
<poem>
::(१)
भीरु पूर्व से ही डरता है, कायर भय आने पर,
किन्तु, साहसी डरता भय का समय निकल जाने पर।
 
::(२)
संकट से बचने की जो है राह,
वह संकट के भीतर से जाती है।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits