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हम बहेंगे / चंद्र रेखा ढडवाल
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02:16, 1 दिसम्बर 2009
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<poem>
'''हम बहेंगे'''
हम नहीं अड़ेंगे
पागल साँड
़सी
-सी
बिफरती भीड़ के सन्मुख
बाढ़ होती नदी के सन्मुख
सुदिशा के लिए.
हम बहेंगे
स्वप्न हो निद्राओं में
द्विजेन्द्र द्विज
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