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हम बहेंगे / चंद्र रेखा ढडवाल
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हम बहेंगे
हम नहीं लड़ेंगे
पाप के विरुद्ध पुण्य की विजय
असत्य के विरुद्ध सत्य की विजय
साधने के लिए.
हम नहीं अड़ेंगे
पागल साँड-सी बिफरती भीड़ के सन्मुख
बाढ़ होती नदी के सन्मुख
सुदिशा के लिए.
हम बहेंगे
स्वप्न हो निद्राओं में
रक्त हो तुम्हारी शिराओं में
सुदीर्घ जीवट के लिए.