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14:31, 13 दिसम्बर 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=प्रार्थना
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<poem>
वंदन हे शारदा नमन करूं ।
विधि सहित अर्पे अचल, विमल सुमति को
हृदय मल सदा हरण कर ।। वंदन हे....।
वसन सितोत्तम सुधवल कमले, तू शोभति जगमाता ।
रसिक मधुर जन हृदय वीणा, सुवादन करत ।
वंदन हे शारदा....।
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