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मोगरा / कुँअर रवीन्द्र
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16:11, 13 दिसम्बर 2009
लड़ रहा है वर्षों से
मेरे बाग़ीचे में गंधों-सुगंधों से
अपनी
देशी
देसी
महक लिए
उसे खाद की, दवाई की ज़रूरत नहीं है
अनिल जनविजय
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