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तुमने तन और मन की बात सुनी / विनोद तिवारी
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04:23, 28 दिसम्बर 2009
मात्र आशा ही उसका जीवन है
प्यासे चातक ने घन की बात सुनी
उसपे लेबिल-सा एक चस्पाँ है
जब से भारत-भवन की बात सुनी
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द्विजेन्द्र द्विज
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