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छा गए हैं आज फिर बादल घने / विनोद तिवारी
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16:21, 29 दिसम्बर 2009
लोग पीछे से भी कर देते हैं वार
आँख है
मजबूररहकर
मजबूर रहकर
सामने
हाठ उन लोगों के निकले पाक साफ़
द्विजेन्द्र द्विज
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