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|संग्रह=राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर
}}
{{KKCatKavita}}तुम _<brpoem>तुम _ बजाओ साज़<br>दिल का, <br> ज़िन्दगी का गीत<br>मैं _<br>गाऊँ! <br> उम्र यों <br> ढलती रहे, <br> उर में<br>धड़कती साँस यह<br>चलती रहे! <br> दोनों हृदय में<br>स्नेह की बाती लहर <br> बलती रहे! <br> जीवन्त प्राणों में<br>परस्पर<br>भावना - संवेदना<br>पलती रहे! <br> तुम _<br>सुनाओ<br>इक कहानी प्यार की<br>मोहक, <br> सुन जिसे <br> मैं _<br>चैन से <br> कुछ क्षण<br>कि सो जाऊँ! <br> दर्द सारा भूल कर<br>मधु-स्वप्न में<br>बेफ़िक्र खो जाऊँ! <br> तुम _<br>बहाओ प्यार-जल की<br>छलछलाती धार, <br> चरणों पर तुम्हारे<br>स्वर्ग - वैभव<br>मैं _<br>
झुका लाऊँ!
</poem>
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