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दिल को लगती है / वली दक्कनी

10 bytes removed, 17:21, 24 दिसम्बर 2006
दिल को लगती है दिलरुबा की अदा <br>
जी में बस्ती बसती है ख़ुशखुश-अदा की अदा <br><br>
गर्चे सब ख़ूबरू हैं ख़ूब वले <br>
हैरत-अफ़ज़ा है बेवफ़ा की अदा <br><br>
गुल हुये ग़र्क-ए-आब-ए-शबनम में <br>
देख उस साहिब-ए-हया की अदा <br><br>
ऐ "वली" दर्द-ए-सर की दारू है <br>
मुझको उस संदली क़बा की अदा <br><br>