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मुसाफ़िर / विष्णु नागर

133 bytes added, 18:22, 12 जनवरी 2010
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|रचनाकार=विष्णु नागर
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<poem>
मैं हूँ मुसाफ़िर
चार बार आऊंगा
यही बातें उसे
बीमार पत्नी के मरने पर
रोने देती हैं.</poem>
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