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|रचनाकार=रंजना जायसवाल
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<poem>
तुम
रह गए
बडे़ जहाज की तरह
तट से दूर

मैं छोटी - सी
डोंगी ही सही
आख़िर
पहुँच गई न
तट तक...।
</poem>