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मंज़िले-दर्द से गुज़र आए / सरवर आलम राज 'सरवर'
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15:08, 26 जनवरी 2010
आज अपने किए को भर आए !
था क़ियामत
थी क़यामत
निगाह का मिलना
आँख से दिल में वह उतर आए !
Shrddha
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