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यादे-जानाँ भी अजब रूह-फ़ज़ा आती है / जिगर मुरादाबादी
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11:24, 31 जनवरी 2010
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हाय क्या चीज़ है ये तक्मिला-ए-हुस्नो-शबाब<ref>सुन्दरता और यौवन की पूर्ति</ref>
अपनी सूरत से भी अब उनको हया<ref>लाज,लज्जा</ref>आती है
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द्विजेन्द्र द्विज
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