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05:06, 5 फ़रवरी 2010 '''दोपहर'''
ठण्ड है दोपहर में<br />
ठण्ड से अलग रात की<br />
सुबह की ठण्ड से अलग<br />
ठण्ड दोपहर में-
मद्धिम हो रही है धूप<br />
उड़ रहे हैं पत्ते सूखे<br />
चल रही है हवा<br />
गहराती ठण्ड को!
आ रही है ठण्ड की महक से-<br />
याद-
दोपहर
ऎसी ही एक दोपहर को<br />
हुए थे हम अलग<br />
समेट एक-दूसरे को!
सूखे पत्तों का विषाद<br />
ठण्ड में<br />
दोपहर की!