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प्रीति-भेंट / श्रीकांत वर्मा
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14:33, 14 फ़रवरी 2010
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इतने दिनों के बाद अकस्मात
मिली
मिले
तो आँसुओं ने उसके उसे, मेरे मुझे
भरमा दिया,
आँसू जब थमे तो मैं कुछ और था, वह कुछ और-
अनिल जनविजय
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