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मैं कब से गोश बर-आवाज़ हूँ पुकारो भी / अहमद नदीम क़ासमी
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02:26, 23 फ़रवरी 2010
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
मैं कब से गोश
-
बर-आवाज़ हूँ पुकारो भी
ज़मीं पर यह सितारे कभी उतारो भी
मगर नदीम तुम इस बोझ को सहारो भी
</poem>
गोश-बर-आवाज़ = उम्मीद में, काकुल = लटें
Sandeep Sethi
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