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11:53, 23 फ़रवरी 2010 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
|संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
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<poem>
चुप रहौ ऊधौ पथ मथुरा कौ गहौ,
::कहौ न कहानी जो बिविध कहि जाए हौ ।
कहै रतनाकर न बूझिहैं बुझाएँ हम,
::करत उपाय बृथा भारी भरमाए हौ ॥
सरल स्वभाव मृदु जानि परौ ऊपर तैं,
::उर पर घाय करि लौन सौ लगाए हौ ।
रावरी सुधाई में भरि है कुटिलाई कूटि,
::बात की मिठाई मैं लुनाई लै ल्याए हौ ॥41॥
</poem>