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ज़िंदा रहें तो क्या है जो मर जाए हम तो क्या / मुनीर नियाज़ी
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04:46, 25 फ़रवरी 2010
एक ख़्वाब हैं जहां में बिखर जाए हम तो क्या|
अब कौन मुंतज़िर
<ref>इंतज़ार करने वाला</ref>
है हमारे लिये वहाँ,
शाम आ गई है लौट के घर जाए हम तो क्या|
[मुंतज़िर=इंतज़ार करने वाला]
दिल की ख़लिश तो साथ रहेगी तमाम उम्र,
Sandeep Sethi
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